Aaj Ka Choghadiya: चौघड़िया वैदिक पंचांग का एक स्वरूप है। जब किसी कार्य के लिए शुभ मुहूर्त नहीं मिल रहा हो या कार्य को शीघ्रता से आरंभ करना हो तथा किसी यात्रा पर जाना आवश्यक हो, तब चौघड़िया मुहूर्त देखने का विधान है। ज्योतिष के अनुसार, चौघड़िया मुहूर्त देखकर कार्य या यात्रा आरंभ करना उत्तम माना जाता है। ज्योतिष में चौघड़िया का विशेष महत्व है। आगे हम चौघड़िया क्या है, इसकी गणना कैसे की जाती है, इसका महत्व क्या है और इसकी उपयोगिता के बारे में जानेंगे।
Contents
- 1 चौघड़िया के लिए दिनांक और स्थान दर्ज करें
- 2 Talk to astrologer Aaj Ka Choghadiya – बुधवार, 10 जुलाई 2024 | उज्जैन
- 3 रात चौघड़िया
- 4 चौघड़िया क्या है?
- 5 चौघड़िया की गणना की विधि
- 6 चौघड़िया का महत्व
- 7 चौघड़िया का उपयोग
- 8 चौघड़िया मुहूर्त
- 9 FAQ,s Aaj Ka Choghadiya
- 10 क्या हर कार्य के लिए चौघड़िया देखना आवश्यक है? (Is it necessary to check Choghadiya for every task?)
- 11 अगर मैं अपना स्थान नहीं जानता तो क्या होगा? (What if I don’t know my location?)
- 12 क्या चौघड़िया मेरी सफलता की गारंटी देते हैं? (Do Choghadiya guarantee my success?)
- 13 क्या कोई अशुभ चौघड़िया होते हैं? (Are there any inauspicious Choghadiya?)
- 14 क्या मैं रात में चौघड़िया का उपयोग कर सकता हूं? (Can I use Choghadiya at night?)
चौघड़िया के लिए दिनांक और स्थान दर्ज करें
आपका स्थान
Talk to astrologer Aaj Ka Choghadiya – बुधवार, 10 जुलाई 2024 | उज्जैन
दिन चौघड़िया
मुहूर्त | समय |
---|---|
लाभ | 05:19:11 AM – 07:01:48 AM |
अमृत | 07:01:48 AM – 08:44:25 AM |
काल | 08:44:25 AM – 10:27:00 AM |
शुभ | 10:27:00 AM – 12:09:38 PM |
रोग | 12:09:38 PM – 01:52:15 PM |
उद्वेग | 01:52:15 PM – 03:34:51 PM |
चर | 03:34:51 PM – 05:17:28 PM |
लाभ | 05:17:28 PM – 07:00:00 PM |
रात चौघड़िया
मुहूर्त | समय |
---|---|
उद्वेग | 07:00:00 PM – 08:17:28 PM |
शुभ | 08:17:28 PM – 09:34:51 PM |
अमृत | 09:34:51 PM – 10:52:15 PM |
चर | 10:52:15 PM – 12:09:38 AM, 11 जुलाई |
रोग | 12:09:38 AM – 01:27:00 AM, 11 जुलाई |
काल | 01:27:00 AM – 02:44:25 AM, 11 जुलाई |
लाभ | 02:44:25 AM – 04:01:48 AM, 11 जुलाई |
उद्वेग | 04:01:48 AM – 05:19:11 AM, 11 जुलाई |
चौघड़िया क्या है?
चौघड़िया ज्योतिष की एक ऐसी तालिका है जो खगोलिय स्थिति के आधार पर दिन के 24 घंटों की दशा बताती है। इसमें प्रतिदिन के लिये दिन, नक्षत्र, तिथि, योग एवं करण दिये होते हैं। ग्रहों की स्थिति पर आधारित ऐसी दशाओं में से दिन और रात्रि में पूजा, विवाह समारोह, त्योहारों आदि के हेतु शुभ एवं अशुभ समयों को इस सारिणी के विभिन्न तालिकाओं में वर्गीकृत किया जाता है।
चौघड़िया की गणना की विधि
चौघड़िया की गणना के लिए, प्रत्येक दिन को दो समय अवधि में विभाजित किया जाता है। दिनमान जो सूर्योदय से सूर्यास्त तक की अवधि है और रात्रि-समय जो सूर्यास्त से सूर्योदय तक की अवधि है। इन दो भागों को फिर आठ बराबर भागों में विभाजित किया जाता है। इन आठ विभाजनों में से प्रत्येक चार एक घड़ी के बराबर है और समय के इस विभाजन को चौघड़िया कहा जाता है।
चौघड़िया का महत्व
चौघड़िया मुहूर्त वैदिक हिंदू कैलेंडर, पंचांग का एक अभिन्न हिस्सा है। चौघड़िया का प्रत्येक भाग दिन की तारीख और समय के आधार पर समान रूप से लाभप्रद या नुकसानदेह हो सकता है। चौघड़िया विभिन्न पहलुओं पर तय किया जाता है। दिन के पहले चौघड़िया की गणना दिन के स्वामी ग्रह के आधार पर की जाती है।
चौघड़िया का उपयोग
चौघड़िया भारत में समय की गणना के लिए एक प्राचीन उपाय है जो प्रत्येक खंड में लगभग 24 मिनट के बराबर है। चौघड़िया उत्तर भारत के अधिकांश क्षेत्रों में एक ज्योतिषी से परामर्श के बिना एक अच्छा मुहूर्त खोजने के लिए उपयोग किया जाता है। दक्षिण में चौघड़िया को गोवरी पंचांग कहा जाता है। चौघड़िया का अधिक उपयोग भारत के पश्चिमी क्षेत्रों में किया जाता है। चौघड़िया मुहूर्त का प्रयोग किसी नए कार्य को करने, यात्रा करने, व्यापार शुरु करने के लिए किया जाता रहा है। घड़ी का अर्थ समय के कुछ भाग से होता है। प्राचीन भारत में दिन और रात्रि को आज के घंटे एवं मिनटों के स्थान पर विभिन्न घड़ियों में बांटा गया था।
चौघड़िया मुहूर्त
उद्वेग: चौघड़िया में उद्वेग प्रथम मुहूर्त है, जिसका स्वामी ग्रह सूर्य है। इस घड़ी में प्रशासनिक कार्य करने पर उचित परिणाम मिलने के कम आसार होते हैं।
लाभ: इस मुहूर्त का स्थान चौघड़िया में द्वितीय है। बुध ग्रह इसका स्वामी ग्रह है। इस समय पर व्यावसायिक और शिक्षा से जुड़े कार्य करने पर उचित परिणाम मिलते हैं।
चर: इस मुहूर्त का स्वामी ग्रह शुक्र है। इसका स्थान चौघड़िया में तृतीय है। इस मुहूर्त में यात्रा और पर्यटन करना उत्तम माना जाता है।
रोग: इस मुहूर्त का चौघड़िया में चौथा स्थान है। इसका स्वामी ग्रह मंगल है। इस घड़ी में चिकित्सीय सलाह लेने से बचना चाहिए।
शुभ: इस मुहूर्त का स्वामी ग्रह बृहस्पति है। यह समय शुभ कार्यों को करने के लिए उत्तम है। इस घड़ी में विवाह, पूजा, यज्ञ करवाने पर शुभफल प्राप्त होता है।
काल: काल मुहूर्त में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ज्योतिषी भी इस मुहूर्त में किसी भी तरह का कार्य करने से मना करते हैं। इस घड़ी पर शनि का स्वामित्व है और काल का सीधा संबंध अंत से है।
अमृत: यह चौघड़िया का अंतिम मुहूर्त है। इस पर चंद्रमा का स्वामित्व है। अमृत मुहूर्त में कोई भी कार्य करने पर अच्छा परिणाम मिलता है।
ध्यान दें: वार वेला, काल वेला और कालरात्रि का समय भारतीय ज्योतिष में शुभ नहीं माना जाता है और भविष्यवाणियां करते समय इनसे बचना चाहिए।