Rakshabandhan Kab Hai 2024:रक्षाबंधन हिंदुओं का महत्वपूर्ण त्यौहार है जो श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन हर साल मनाया जाता है। रक्षाबंधन का यह पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस खास अवसर पर बहनें शुभ मुहूर्त में अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं। शास्त्रों के अनुसार, रक्षाबंधन का यह त्यौहार शुभ मुहूर्त में ही मनाना चाहिए। इस दिन भद्रा काल नहीं होना चाहिए क्योंकि किसी भी शुभ कार्य में भद्रा काल का होना शुभ नहीं माना जाता।
Contents
- 1 रक्षाबंधन 2024 का शुभ मुहूर्त
- 2 रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?
- 3 रक्षाबंधन कब से शुरू हुआ?
- 4 रक्षाबंधन से जुड़ी कथाएँ और ऐतिहासिक कारण
- 5 कृष्ण और द्रौपदी
- 6 भगवान विष्णु एवं राजा बाली
- 7 रानी कर्णावती एवं हुमायूं
- 8 रक्षाबंधन की पूजा विधि
- 9 रक्षाबंधन की कहानी
- 10 FAQ,s Rakshabandhan Kab Hai 2024
- 11 रक्षाबंधन कब मनाया जाता है?
- 12 रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त क्या है?
- 13 रक्षाबंधन पर भद्रा काल क्यों महत्वपूर्ण है?
- 14 रक्षाबंधन का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
- 15 रक्षाबंधन से जुड़ी प्रमुख कहानियाँ क्या हैं?
रक्षाबंधन 2024 का शुभ मुहूर्त
घटना | तिथि और समय |
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तारीख | 19 अगस्त 2024 |
दिन | सोमवार |
शुभ मुहूर्त | 01:35 से 09:08 तक |
राखी पूर्णिमा प्रारम्भ | 19 अगस्त 2024, 01:55 तक |
राखी पूर्णिमा समाप्त | 19 अगस्त 2024, 09:08 तक |
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?
रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहनों के लिए हमेशा से खास रहा है। इसको शुरू करने के पीछे कई कहानियाँ और कारण हैं। शास्त्रों के अनुसार, रक्षाबंधन से जुड़ी कई कथाएँ और ऐतिहासिक कारण हैं जो इस त्यौहार की शुरुआत की बात कहते हैं।
रक्षाबंधन कब से शुरू हुआ?
Rakshabandhan Kab Hai 2024 श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह पर्व कई कारणों से मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इसे शुरू करने की कुछ धार्मिक और ऐतिहासिक कथाएँ हैं जिनके बारे में पूरी जानकारी होना अति आवश्यक है। इसे शुरू करने के तीन मुख्य कारण हैं।
रक्षाबंधन से जुड़ी कथाएँ और ऐतिहासिक कारण
रक्षाबंधन का पर्व कई धार्मिक कहानियों से संबंध रखता है। इस दिन हर बहन अपने भाई को राखी बांधती है और उसकी लंबी आयु की कामना करती है। इसके पीछे के कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं
कृष्ण और द्रौपदी
जब श्रीकृष्ण ने अपने भाई शिशुपाल को मारने के लिए सुदर्शन चक्र से प्रहार किया था, तब उनकी उंगली कट गई थी। पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर कृष्ण की उंगली पर बांधा। इसके बाद श्रीकृष्ण ने द्रौपदी से कहा कि वे उन्हें अपनी बहन मानते हैं और सदैव उनकी रक्षा करेंगे। तभी से रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाने लगा।
भगवान विष्णु एवं राजा बाली
Rakshabandhan Kab Hai 2024:दैत्यों के राजा बाली ने 110 यज्ञ पूर्ण कर लिए थे जिससे देवताओं में डर बढ़ गया। भगवान विष्णु ने ब्राह्मण का रूप धारण कर राजा बाली से भिक्षा मांगी। राजा बाली ने विष्णु को तीन पग भूमि देने का वचन दिया। भगवान विष्णु ने एक पग में स्वर्ग, दूसरे में पृथ्वी को ले लिया। तीसरा पग राजा बाली ने अपने सिर पर रखने का आग्रह किया। इस प्रकार राजा बाली से स्वर्ग और पृथ्वी पर अधिकार छीन लिया गया और वे पाताल लोक चले गए। राजा बाली ने भगवान विष्णु को हर समय अपने सामने रहने का वचन मांगा। विष्णु को बाली का द्वारपाल बनना पड़ा जिससे देवी लक्ष्मी दुखी हो गईं। लक्ष्मी ने बाली को राखी बांधकर अपना भाई बनाया और उपहार के रूप में विष्णु को मांगा। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी, तभी से रक्षाबंधन मनाया जाता है।
रानी कर्णावती एवं हुमायूं
Rakshabandhan Kab Hai 2024:मध्यकालीन युग में, राजपूत और मुसलमानों के बीच जंग चल रही थी। चित्तौड़ की विधवा रानी कर्णावती ने सुल्तान बहादुर से रक्षा के लिए हुमायूं को राखी भेजी। हुमायूं ने रानी की रक्षा की और उन्हें अपनी बहन का दर्जा दिया। तब से रक्षाबंधन की परंपरा शुरू हुई।
रक्षाबंधन की पूजा विधि
- सबसे पहले पवित्र स्नान करें और सभी देवी-देवताओं को प्रणाम करें।
- एक चांदी, पीतल या तांबे की थाली में राखी, अक्षत, रोली या सिंदूर रखें और उसे गीला करें।
- राखी के थाल को पूजा स्थल पर रखें और सबसे पहले राखी बाल गोपाल या अपने इष्ट देव को अर्पित करें।
- भगवान से प्रार्थना करें और राखी बांधते समय भाई का मुंह पूर्व दिशा की ओर हो।
- बहन सबसे पहले भाई के माथे पर रोली का टीका लगाएगी, अक्षत लगाएगी और दीपक जलाकर आरती करेगी।
- भाई की कलाई में राखी का धागा मंत्र बोलते हुए बांधे और मिठाई खिलाएं।
- भाई अपनी बहन के चरण स्पर्श कर उनकी रक्षा का वचन देगा और उपहार स्वरूप कुछ देगा।
रक्षाबंधन की कहानी
Rakshabandhan Kab Hai 2024:श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। एक नगर में एक साहूकार रहता था जिसके तीन पुत्र और तीन बहुएं थीं। सबसे छोटी बहू सुशील और संस्कारी थी और कृष्ण भगवान की परम भक्त थी। सावन महीने में दोनों बड़ी बहुएं अपने पीहर जाने की तैयारी कर रही थीं। छोटी बहू ने पूछा तो उन्होंने बताया कि रक्षाबंधन का त्योहार है। छोटी बहू के पास कोई भाई नहीं था, इसलिए वह भगवान कृष्ण की प्रतिमा के सामने रोने लगी। अगले दिन, एक दूर के रिश्तेदार भाई ने आकर उसे अपने साथ ले जाने का आग्रह किया। छोटी बहू ने रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया और उसके भाई ने उसे विदा किया। जब वह अपने पति के साथ वापस गई तो देखा कि वहां एक पीपल का पेड़ था और उसके पति का कुर्ता टंगा हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण ने प्रकट होकर बताया कि यह सब उन्होंने किया था ताकि वह अपनी बहन को राखी बांध सके। तब उसके पति ने भगवान से क्षमा मांगी और रक्षाबंधन की महिमा को समझा।